Cryptocurrency से होने वाली कमाई मोदी सरकार के राजस्व के लिए एक सुनहरा अवसर।
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क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई मोदी सरकार के राजस्व लिए एक सुनहरा अवसर । इस व्यापार को प्रतिबंधित करने के बजाय नियमों के साथ अनुमति देने पर दिया जा सकता है जोर।
आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोकरंसी और विनियमन, जिसे 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है| सम्भावना है की भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पेश की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा को मान्यता दी जाएगी साथ ही क्रिप्टोकरंसी से जुड़े निर्णय लिए जायँगे।
व्यापक सर्वसम्मति से ऐसा प्रतीत होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से इस व्यवसाय को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के बजाय इसे रेगुलेशन में लाना विवेकपूर्ण होगा। ऐसी आशंका है कि लगभग 10 करोड़ भारतीय, जिनके पास क्रिप्टोकरेंसी है या उनका सौदा है, वे प्रतिबंध के बावजूद भी इसमें दबदबा जारी रखेंगे, जिससे यह दशकों में सबसे बड़ा डिजिटल काला बाजार अवैध वित्तीय व्यापार बन जाएगा और शेयर बाजार की इम्पोर्टेंस ख़त्म हो जायगी।
निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में किसी भी ऑनलाइन ट्रेडिंग गतिविधि और एजेंसी का सबसे बड़ा डर साइबर क्राइम की संभावना से है। इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) के अनुसार इस साल के पहले छह महीनों में छह लाख से अधिक साइबर सुरक्षा उल्लंघन हुए हैं और सरकारी संस्थानों में 12,000 घटनाएं हुई हैं। सरकार द्वारा संचालित या लाइसेंस प्राप्त साइबर एक्सचेंजों पर किसी भी प्रकार का एक भी साइबर क्राइम, शेयर बाजार या अन्य एक्सचेंज में व्यापार करने वाले निवेशकों के विश्वास को गंभीर रूप से नष्ट कर देगा। रेगुलेटरी बॉडी को ऐसे सभी एक्सचेंजों और वित्तीय बाजारों को ऐसी स्थिति से बचाने की जरूरत है। हर सिक्के के दो पहलू वाले तथ्यों के साथ हमेशा से कानून व्यवस्था बनाकर स्तिथि को व्यवस्थित किया गया है। ऐसे में रेगुलेशन का इन्तजार हर क्रिप्टो निवेशक को है।
सरकार द्वारा रेगुलेशन लाने का प्रयास व्यपार के दुरुपयोग को रोकने का सही तरीका प्रतीत होता है, साथ ही राजस्व सरकार के लिए इस व्यापार को प्रतिबंध के बजाय नियमों के साथ अनुमति देने और “टैक्स ” से होने वाली कमाई के लिए प्रोत्साहनों में से एक हो सकता है।
सरकार के रेगुलेशन में समय के साथ और सुधार की आवश्यकता भले ही हो सकती है लेकिन निश्चित रूप से यह एक अच्छी शुरुआत है, जो बाजार की ईमानदारी और सरकार की समझदारी दोनों का परीक्षण करेगी।