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December 17, 2024 9:34 am

किसान कानून पे "अजय हल की बात"

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ना मैं सिख, ना किसान, ना राजनितिज्ञ हूँ
ना मुझे समझ किसान कानून के आज की ना कल की
पर सिंधु किनारे सड़क में घट रहा है जो कुछ भी
” उस बात से विचलित हूँ ….
एक दरख्वास्त लिख व्यक्त करता हूँ
हल चलाने वालों के
हक़ का अजय हल की बात रखता हूँ “

ना मैं अरदास जानता हूँ, ना कोई आडम्बर जानता हूँ
पर दिल्ली की सर्दी, से रोशनी का भी ना पार हो पाने
वाला धुंध और वहाँ बैठे
किसानों का मंजर सोच
“उस बात से विचलित हूँ…
एक दरख्वास्त लिख व्यक्त करता हूँ
हल चलाने वालों के
हक़ का अजय हल की बात रखता हूँ”

वैसे इन दिनों कुछ अलग देखा
सिख किसानों का यह विनम्रतापूर्ण ज़िद देखा
किताबों में पढ़े मैनेजमेंट के जो शब्द अब भी आसान नहीं लगते…
किसानों को वही प्रबंधन उसे चुटकियों में करते देखा …

चार चक्के वाली ट्रक, ट्रैक्टर्स को चार दीवारों वाला घर होते देखा
शहरों के बीच गुजरती सड़क देखे है,पर आज सड़क पे ही बस गया शहर देखा
तकलीफों वाली दूरियों के जवाब मे,
कि.मी. को मीटर में बदली तैयारियाँ देखा
“पर सियासती चुप्पी से विचलित हूँ…
एक दरख्वास्त लिख व्यक्त करता हूँ
हल चलाने वालों के
हक़ का अजय हल की बात रखता हूँ”

बड़ी जीत की तैयारी बड़ी देखी
सुनियोजित लड़ाई की रणनीति का मैं प्रमाण
सुविधाओं के प्रबंधन के ब्लू-प्रिंट का मैं प्रमाण
मेरे हर आम शब्द ख़ास
“इस विडम्बना से विचलित हूँ…
एक दरख्वास्त लिख व्यक्त करता हूँ
हल चलाने वालों के
हक़ का अजय हल की बात करता हूँ”

मैं NH44 सड़क,
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 44
पता – Delhi Border, Near Sindhu घाटी

जरा ये खत, ये बात उन तक पहुँचा दो।

“आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द।
700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी।
आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था।
देश के किसानों को मेरा नमन।”


~अजय रात्रे

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