Finally Digital प्रेमगली
"डिजिटल प्रेम गली में हमने भी दे दिया अजेय दस्तक, और अजेय अभिव्यक्ति से impression खूब जमाया। "
बस पास के मोहल्ले की संकरी सी गली में उसका घर
पर चक्कर खूब लगाने पड़े …
उस गली का एक एक पत्थर तक नाप चुके थे हम…।
भारत भ्रमण को थोड़ा ही बचा होगा,
इत्ते चक्कर उस गली के नाप चुके थे हम ।।
बात ही कुछ ऐसी थी उस पगली में…
नज़ाकत की जीती जागती मूर्ति थी वो।
न जाने कहा से उड़ आयी प्रेम पंखुड़ी आफ़त थी वो।।
तोड़ चाँद उसके हाथों में ला के दे देते हम ।
पर जो खुद चाँद हो, दूजा तोड़ के कहा से लाते हम।।
सोचा इज़हार करे…
इज़हार के लिए तरकीब निकाला सोचा पत्र लिखेंगे हम । हाँ वही प्रेम पत्र…
दरोग़ा बाबू की संगत के असर में रिपोर्ट लिख भेज हम।। बस फिर क्या.
Chemistry बिठाने हम हर गणित करते रहे.., हार मान जाए ऐसे हम थे नही।
और आसानी से पक जाए ऐसी वो खीर थी नही…
पर इस बीरबल की खिचड़ी चूल्हे में चढ़ तो चुका था।
और मछली की आँख भेद दिल जीतने का, इस अर्जुन के पास यही आख़िरी मौक़ा था।।
मोशन गग्राफ़िक्स से इमोशन express करने का प्लान बनाया।
आख़िर डिज़ाइनर है भैया….
Telegram पत्र व्यवहार का idea cancel कर instagram में account बनाया।
डिजिटल प्रेम गली में हमने भी दे दिया अजेय दस्तक,
और अजेय अभिव्यक्ति से impression खूब जमाया।
इश्क़ वाली सप्ताह का फिर दाव खूब लगाया।।
रोज़ से propose और फिर valentine के हर इम्तिहान में किया participate….
आप सभी को जानकर ख़ुशी होगी की.. finally
बृजवासी इस मुरली वाले का आज उस राधे के संग है date…
बस पास के मोहल्ले के संकरी सी गली में उसका घर
पर चक्कर बड़े लगाने पड़े…